#rkbanshi
कवि:
हमें तो अपनों ने लूटा, ग़ैरों में कहाँ दम था।
हमारी कश्ती वहाँ डूबी, जहाँ पानी कम था।
कवि-पत्नी:
तुम तो थे ही गधे, तुम्हारे भेजे में कहाँ दम था?
वहाँ कश्ती ले के गए ही क्यों, जहाँ पानी कम
था?
कवि:
हमें तो अपनों ने लूटा, ग़ैरों में कहाँ दम था।
हमारी कश्ती वहाँ डूबी, जहाँ पानी कम था।
कवि-पत्नी:
तुम तो थे ही गधे, तुम्हारे भेजे में कहाँ दम था?
वहाँ कश्ती ले के गए ही क्यों, जहाँ पानी कम
था?
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